अविरलधारा के ऐच्छिक कटान तक, विसंगतियों का सृजन हो रहा। अविरलधारा के ऐच्छिक कटान तक, विसंगतियों का सृजन हो रहा।
अब सब चीख रहे... चिल्ला रहे... एक-एक जगह को पाने को एक लाख पंक्ति लगा रहे। अब सब चीख रहे... चिल्ला रहे... एक-एक जगह को पाने को एक लाख पंक्ति लगा रहे।
लगाते हैं सपनों का पेड़, खाते हैं गुलामी का फल ! लगाते हैं सपनों का पेड़, खाते हैं गुलामी का फल !
कदम पीछे धरता, खूब देखा दृश्य खाली कदम पीछे धरता, खूब देखा दृश्य खाली
मंडी में बिकने लगें, स्त्री-पुरुष जवान पूंजी पर बैठा यही, चाह रहा सुल्तान । मंडी में बिकने लगें, स्त्री-पुरुष जवान पूंजी पर बैठा यही, चाह रहा सुल्तान ।
सुमेर सिंह आर्य संस्थान ने ठाना है, अपना भारतवर्ष शिक्षित बनाना है। सुमेर सिंह आर्य संस्थान ने ठाना है, अपना भारतवर्ष शिक्षित बनाना है।